परम्परागत कृषि विकास योजना

आइये जानते हैं कि “परम्परागत कृषि क्या है”? Paramparagat Krishi Vikas Yojana भारत सरकार की एक पहल है जो कृषि क्षेत्र में परंपरागत तकनीकों और ज्ञान को प्रोत्साहित करती है। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करना, उनकी उत्पादकता बढ़ाना और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना है। परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत, किसानों को पारंपरिक खेती तकनीकों, बीजों, खाद्य सुरक्षा संबंधित सहायता एवं अन्य संबंधित संसाधनों की पहुंच प्राप्त करने में मदद मिलती है। इसके माध्यम से स्थानीय स्तर पर किसानों को उनके खेती-उद्यान की समस्याओं का समाधान करने में भी सहायता प्रदान की जाती है।

Paramparagat Krishi Vikas Yojana (PKVY) का मुख्य उद्देश्य भारतीय किसानों के जीवनस्तर को सुधारना और उनकी आय को बढ़ाना है। इस योजना के अंतर्गत, किसानों को परंपरागत खेती तकनीकों, खाद्य सुरक्षा सुधार, और उनकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि करने के लिए सहायता प्रदान की जाती है। इसके अंतर्गत, कृषि यंत्रों, बीजों, और उपकरणों की व्यवस्था भी की जाती है ताकि किसान अधिक उत्पादन कर सकें।

परम्परागत कृषि विकास योजना PKVY न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार ला रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। यह योजना भारत के कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला रही है और देश को स्थायी कृषि की ओर ले जा रही है। आप इसकी Official Website पर जा कर paramparagat krishi vikas yojana in english एवं pkvy scheme in hindi PDF Download कर सकते हैं|

Paramparagat Krishi Vikas Yojana Benefits

परम्परागत कृषि विकास योजना pkvy के कई लाभ हैं जो किसानों और कृषि क्षेत्र को समृद्ध बनाने में मदद करते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:

  1. परंपरागत खेती का संवर्धन: PM krishi vikas yojana जैविक और परंपरागत खेती पद्धतियों को प्रोत्साहित करती है, जिससे रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग में कमी आती है।
  2. मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार: जैविक खेती से मिट्टी की संरचना और गुणवत्ता में सुधार होता है, जिससे लम्बे समय तक भूमि की उपजाऊ क्षमता बनी रहती है।
  3. स्वास्थ्यवर्धक फसलें: जैविक और परंपरागत तरीकों से उगाई गई फसलें रसायनों से मुक्त होती हैं, जिससे उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  4. कम लागत: परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत किसानों को प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे खेती की लागत कम होती है।
  5. पर्यावरण संरक्षण: जैविक खेती से पर्यावरण में प्रदूषण कम होता है और जल संरक्षण में भी मदद मिलती है।
  6. उत्पादकता में वृद्धि: परंपरागत तकनीकों और जैविक तरीकों के उपयोग से फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार होता है।
  7. आय में वृद्धि: जैविक उत्पादों की बाजार में अच्छी मांग होती है, जिससे किसानों को अपने उत्पादों के लिए बेहतर कीमत मिलती है और उनकी आय में वृद्धि होती है।
  8. सरकारी सहायता: Paramparagat Krishi Vikas Yojana Scheme के तहत किसानों को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और तकनीकी जानकारी प्रदान की जाती है, जिससे वे अपनी खेती को और अधिक प्रभावी बना सकें।
  9. समुदाय और समूह आधारित खेती: योजना समूहों में खेती को प्रोत्साहित करती है, जिससे किसानों को सामूहिक लाभ मिलता है और वे एक-दूसरे के अनुभवों से सीख सकते हैं।
  10. स्थानीय बाजारों का विकास: जैविक और परंपरागत उत्पादों के लिए स्थानीय बाजारों का विकास होता है, जिससे किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए एक स्थायी मंच मिलता है।

इन लाभों के माध्यम से Paramparagat Krishi Vikas Yojana न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाती है, बल्कि कृषि क्षेत्र को भी दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ और स्वस्थ बनाती है।

What is the Eligibility of Paramparagat Krishi Vikas Yojana

Paramparagat Krishi Vikas Yojana

परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) के अंतर्गत पात्रता मानदंड निम्नलिखित हैं:

  1. किसान समूह/क्लस्टर:
    • इस योजना के तहत, किसानों को समूहों या क्लस्टरों में संगठित किया जाता है।
    • प्रत्येक क्लस्टर में 20-100 हेक्टेयर जमीन होनी चाहिए।
    • एक क्लस्टर में कम से कम 50 किसानों का समूह होना चाहिए।
  2. भूमि स्वामित्व:
    • योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास खेती योग्य भूमि होनी चाहिए।
    • यह भूमि व्यक्तिगत या साझा हो सकती है।
  3. कृषि सहकारी समितियाँ और FPOs:
    • कृषि सहकारी समितियाँ, किसान उत्पादक संगठन (FPOs), और अन्य किसान संगठनों को भी इस योजना के तहत शामिल किया जाता है।
  4. बागवानी और कृषि व्यवसाय:
    • जो किसान जैविक बागवानी या कृषि व्यवसाय में शामिल हैं, वे भी इस योजना के तहत पात्र हैं।
  5. स्थानीय निकाय और संस्थान:
    • स्थानीय पंचायत, कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), और अन्य कृषि संबंधित संस्थान योजना के कार्यान्वयन में भाग ले सकते हैं और किसानों को प्रशिक्षित कर सकते हैं।
  6. सरकारी मान्यता:
    • किसान समूहों या संगठनों को योजना के तहत पंजीकरण कराना होगा और संबंधित राज्य सरकार या केंद्रीय कृषि मंत्रालय से मान्यता प्राप्त करनी होगी।
  7. पारंपरिक कृषि पद्धतियाँ:
    • वे किसान जो पारंपरिक या जैविक खेती पद्धतियों को अपनाने के इच्छुक हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जाती है।

Paramparagat Krishi Vikas Yojana Scheme के अंतर्गत किसानों को जैविक खेती की दिशा में प्रोत्साहित किया जाता है और उन्हें वित्तीय, तकनीकी, और प्रशिक्षण सहायता प्रदान की जाती है। योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादकता में वृद्धि करना और किसानों की आय को स्थिर और दीर्घकालिक रूप से बढ़ाना है।

परम्परागत कृषि एवं आधुनिक कृषि में कोई दो अंतर बताइए?

परम्परागत कृषि और आधुनिक कृषि के बीच कई अंतर हैं। यहाँ दो प्रमुख अंतर बताए जा रहे हैं:

1. तकनीकी उपयोग

परम्परागत कृषि:

  • कम तकनीकी उपकरण: परम्परागत कृषि में कृषि कार्य मुख्यतः हाथ से या पशु-शक्ति की मदद से किया जाता है।
  • प्राकृतिक संसाधन: जैविक खाद, कंपोस्ट, और हरी खाद जैसे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग होता है।

आधुनिक कृषि:

  • उच्च तकनीकी उपकरण: आधुनिक कृषि में ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, सिंचाई प्रणाली और अन्य मशीनी उपकरणों का व्यापक उपयोग होता है।
  • रासायनिक संसाधन: रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक और हर्बीसाइड का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है।

2. उत्पादन विधि और प्रभाव

परम्परागत कृषि:

  • कम उत्पादन: परंपरागत तरीकों से उत्पादन की मात्रा कम होती है, लेकिन उत्पाद की गुणवत्ता उच्च होती है।
  • पर्यावरण के अनुकूल: यह विधि पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल है, क्योंकि इसमें प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग होता है और मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।

आधुनिक कृषि:

  • उच्च उत्पादन: आधुनिक तकनीकों और संसाधनों का उपयोग करके उत्पादन की मात्रा काफी बढ़ जाती है।
  • पर्यावरणीय चुनौतियाँ: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट और जल प्रदूषण जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

इन अंतरों के कारण परम्परागत कृषि और आधुनिक कृषि दोनों की अपनी-अपनी विशेषताएँ और चुनौतियाँ हैं। परम्परागत कृषि पर्यावरण और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बेहतर मानी जाती है, जबकि आधुनिक कृषि उत्पादन बढ़ाने और वैश्विक खाद्य मांग को पूरा करने के लिए आवश्यक है।

प्रधानमंत्री परम्परागत कृषि विकास योजना क्या है?

प्रधानमंत्री परम्परागत कृषि विकास योजना क्या है?

PM Paramparagat Krishi Vikas Yojana, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है जिसका उद्देश्य जैविक और परम्परागत खेती को बढ़ावा देना है। Paramparagat Krishi Vikas Yojana Year 2015 में शुरू की गई थी। PKVY का लक्ष्य किसानों को रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को कम करने और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके पर्यावरण के अनुकूल खेती को प्रोत्साहित करना है।

Paramparagat Krishi Vikas Yojana Objectives

  1. जैविक खेती का प्रोत्साहन:
    • किसानों को रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बजाय जैविक और प्राकृतिक खेती पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरित करना।
  2. मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार:
    • प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके मिट्टी की उर्वरता और संरचना में सुधार करना।
  3. पर्यावरण संरक्षण:
    • जैविक खेती के माध्यम से पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखना और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना।
  4. किसानों की आय में वृद्धि:
    • जैविक उत्पादों की उच्च मांग के कारण किसानों को उनके उत्पादों के लिए बेहतर मूल्य मिलना और उनकी आय में वृद्धि करना।

योजना की मुख्य विशेषताएँ

  1. क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण:
    • PKVY के तहत, किसानों को 20-100 हेक्टेयर के समूह (क्लस्टर) में संगठित किया जाता है ताकि सामूहिक रूप से जैविक खेती की जा सके।
  2. प्रशिक्षण और जागरूकता:
    • किसानों को जैविक खेती तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम प्रदान किए जाते हैं।
  3. वित्तीय सहायता:
    • योजना के तहत किसानों को जैविक खेती के लिए आवश्यक सामग्री, जैसे जैविक खाद, जैविक कीटनाशक, और बीज खरीदने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  4. प्रमाणीकरण:
    • जैविक उत्पादों का प्रमाणीकरण किया जाता है ताकि उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहतर कीमत मिल सके।
  5. बाजार की सुविधा:
    • किसानों को उनके जैविक उत्पादों के लिए बाजार की सुविधा और विपणन सहायता प्रदान की जाती है।

कार्यान्वयन

  • राज्य और केंद्र सरकार:
    • योजना का कार्यान्वयन राज्य और केंद्र सरकार के कृषि विभागों के सहयोग से किया जाता है।
  • स्थानीय निकाय और संस्थाएँ:
    • स्थानीय पंचायतें, कृषि विज्ञान केंद्र (KVKs), और अन्य कृषि संबंधित संस्थाएँ योजना के कार्यान्वयन में भाग लेती हैं।

योजना का महत्व

PM Paramparagat Krishi Vikas Yojana किसानों को स्थायी खेती की ओर प्रेरित करने, उनकी आय में वृद्धि करने और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने के उद्देश्य से बनाई गई है। यह योजना किसानों को जैविक खेती अपनाने और परंपरागत कृषि पद्धतियों को पुनर्जीवित करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे कृषि उत्पादकता में वृद्धि हो और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो।

अधिक जानकारी के लिए आप इसके PDF भी पढ़ सकते हैं जो आपको जो आपको इन दोनों भाषाओँ में उपलब्ध हैं। जो कि आपको Paramparagat Krishi Vikas Yojana UPSC exam के लिए बहुत महत्वपूर्ण होंगे।

  • Paramparagat Krishi Vikas Yojana In English
  • Paramparagat Krishi Vikas Yojana In Tamil

अगर आप Paramparagat Krishi Vikas Yojana (Pkvy) LOGO देखना चाहते हैं तो आपको Paramparagat Krishi Vikas Yojana LOGO भी देखने को मिलेगा

Paramparagat Krishi Vikas Yojana Kab Shuru Hui?

परंपरागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana) की शुरुआत भारत सरकार ने 2015 में की थी। यह योजना कृषि मंत्रालय के अंतर्गत चल रही है और इसका उद्देश्य परंपरागत कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना और जैविक खेती को प्रोत्साहित करना है। योजना के तहत, किसानों को जैविक उर्वरकों और प्राकृतिक कीटनाशकों के उपयोग के लिए प्रशिक्षण और सहायता प्रदान की जाती है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने और कृषि उत्पादन में वृद्धि की जा सके।

परंपरागत कृषि सहकारी योजना: सहकारी समितियों के माध्यम से जैविक खेती का समर्थन”

परंपरागत कृषि सहकारी योजना (Paramparagat Krishi Sahakari Yojana) भारत सरकार की एक पहल है जो कृषि सहकारी समितियों के माध्यम से परंपरागत कृषि प्रथाओं को समर्थन देने और बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है। इस योजना का उद्देश्य जैविक खेती को प्रोत्साहित करना और कृषि उत्पादन में सुधार लाना है।

योजना के तहत, कृषि सहकारी समितियों को जैविक खेती की तकनीकें अपनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है और उन्हें जैविक उर्वरक और प्राकृतिक कीटनाशक प्रदान किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, फसल विविधता को बढ़ाने और मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने के लिए विभिन्न पहल की जाती हैं।

परंपरागत कृषि सहकारी योजना के माध्यम से, किसानों को समूह आधारित प्रशिक्षण और समर्थन प्राप्त होता है, जिससे कृषि उत्पादन को स्थिर और टिकाऊ बनाने में मदद मिलती है। योजना का प्रमुख लक्ष्य कृषि विकास को समन्वित और सहकारी ढंग से बढ़ावा देना है।

Paramparagat Krishi Vikas Yojana Apply Online कैसे करें?

परम्परागत कृषि विकास योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया निम्नलिखित है। यह प्रक्रिया राज्य सरकार की वेबसाइटों या कृषि विभाग के पोर्टल पर भिन्न-भिन्न हो सकती है, लेकिन सामान्यत: इन चरणों का पालन किया जाता है:

ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया:

  1. सरकारी पोर्टल पर जाएँ:
    • सबसे पहले, Paramparagat Krishi Vikas Yojana Official Website पर जाएँ। 
    • कुछ राज्यों में, आपको राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) या संबंधित अन्य पोर्टल पर भी जाना पड़ सकता है।
  2. पंजीकरण (Registration):
    • यदि आप नए उपयोगकर्ता हैं, तो पहले आपको पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा।
    • पंजीकरण के लिए अपने व्यक्तिगत विवरण, संपर्क जानकारी, और एक वैध ईमेल आईडी एवं मोबाइल नंबर प्रदान करें।
  3. लॉगिन (Login):
    • पंजीकरण के बाद, अपने लॉगिन क्रेडेंशियल्स (यूज़र आईडी और पासवर्ड) का उपयोग करके पोर्टल पर लॉगिन करें।
  4. आवेदन पत्र भरें (Fill Application Form):
    • लॉगिन करने के बाद, ‘परम्परागत कृषि विकास योजना’ या ‘PKVY’ सेक्शन में जाएं।
    • वहाँ उपलब्ध आवेदन पत्र को खोलें और सभी आवश्यक जानकारी भरें।
    • इस जानकारी में आपकी व्यक्तिगत जानकारी, भूमि की जानकारी, और योजना के अंतर्गत आवश्यक विवरण शामिल हो सकते हैं।
  5. आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें (Upload Required Documents):
    • आवेदन पत्र भरने के बाद, आवश्यक दस्तावेजों को स्कैन करें और पोर्टल पर अपलोड करें।
    • आवश्यक दस्तावेजों में भूमि रिकॉर्ड, पहचान पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो, और बैंक विवरण शामिल हो सकते हैं।
  6. सबमिट करें (Submit):
    • सभी जानकारी और दस्तावेज़ भरने के बाद, फॉर्म को पुनः जाँचें और सुनिश्चित करें कि सभी जानकारी सही है।
    • उसके बाद, आवेदन पत्र को सबमिट करें।
  7. संपर्क सूचना प्राप्त करें (Receive Confirmation):
    • सफलतापूर्वक आवेदन सबमिट करने के बाद, आपको एक पावती (Acknowledgment) प्राप्त होगी जिसमें आपके आवेदन की स्थिति और एक आवेदन संख्या होगी।
  8. फॉलो-अप (Follow-Up):
    • आवेदन की स्थिति को नियमित रूप से पोर्टल पर लॉगिन करके चेक करें।
    • यदि आपका आवेदन स्वीकृत हो जाता है, तो आगे की प्रक्रिया के बारे में आपको सूचित किया जाएगा।

महत्वपूर्ण लिंक:

  • राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) वेबसाइट: https://rkvy.nic.in
  • कृषि विभाग, भारत सरकार: https://agricoop.nic.in

सहायता:

यदि आपको आवेदन प्रक्रिया के दौरान किसी सहायता की आवश्यकता हो, तो आप अपने राज्य के कृषि विभाग के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं या संबंधित हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर सकते हैं।

आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। यदि आपको और किसी जानकारी की आवश्यकता हो, तो कृपया पूछें।

What Is Paramparagat Krishi Vikas Yojana?

परम्परागत कृषि विकास योजना भारत सरकार की एक योजना है जो किसानों को जैविक खेती को बढ़ावा देने और परंपरागत कृषि पद्धतियों को संरक्षित करने के लिए शुरू की गई है।

Paramparagat Krishi Vikas Yojana Under Which Ministry?

परम्परागत कृषि विकास योजना कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आती है।

When Was Paramparagat Krishi Vikas Yojana Launched In?

परम्परागत कृषि विकास योजना की शुरुआत 2015 में की गई थी।

What Is The Main Objective Of Paramparagat Krishi Vikas Yojana?

परम्परागत कृषि विकास योजना का मुख्य उद्देश्य भारतीय किसानों को जैविक खेती के माध्यम से अधिक उत्पादक और सार्थक कृषि प्रणालियों को प्रोत्साहित करना है। इसके माध्यम से परंपरागत कृषि पद्धतियों को संरक्षित करना और समृद्ध कृषि क्षेत्र की दिशा में कदम बढ़ाना भी उसका उद्देश्य है।

 Paramparagat Krishi Vikas Yojana में कितने प्रकार के वित्तीय समर्थन योजनाएं होती हैं?

परम्परागत कृषि विकास योजना में विभिन्न प्रकार के वित्तीय समर्थन योजनाएं होती हैं जो किसानों को जैविक खेती की ओर प्रोत्साहित करने के लिए उपलब्ध की जाती हैं। ये योजनाएं राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न प्रमुखताओं और आवश्यकताओं के आधार पर शुरू की जाती हैं और उन्हें विकसित करने के लिए विशेष बजट आवंटित किया जाता है।

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